नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने के एक दिन । बाद आज (गुरुवार को) भोपाल पहुंचेइस बाबत मध्यप्रदेश की राजधानी भव्य तैयारियां की गईं। सिंधिया इस प्रवास के दौरान राज्यसभा के लिए नामांकन भरेंगे। भाजपा के प्रदेश कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, सिंधिया गुरुवार दोपहर तीन बजे विमान से भोपाल पहुंचे। वह राजाभोज विमानतल से चलकर भाजपा कायार्लय पहुंचे, जहां पं दीनदयाल उपाध्याय, विजयाराजे सिंधिया, कुशाभाऊ ठाकरे की प्रतिमाओं और माधवराव सिंधिया के चित्र पर माल्यार्पण किया। भाजपा कायार्लय में ज्योतिरादित्य सिंधिया का स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया गया ।तय कार्यक्रम के मुताबिक, सिंधिया शुक्रवार 13 मार्च को दोपहर 12 बजे पुन- भाजपा कायार्लय पहुंचेंगे और महापुरुषों के चित्र पर माल्यार्पण करने के पश्चात राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने विधानसभा परिसर जाएंगे। मध्यप्रदेश भाजपा के मीडिया प्रभारी लोकेन्द्र पाराशर ने बताया कि भाजपा कार्यालय में ज्योतिरादित्य सिंधिया का स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस को छोड़ने के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस के करीब 10,000 पदाधिकारियों ने इस्तीफे दे दिये हैं और कई पदाधिकारी त्यागपत्र दे सकते हैं। यह दावा मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता के पद से इस्तीफा देने वाले पंकज चतुर्वेदी ने किया है। उन्होंने सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के तुरंत बाद इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, मध्यप्रदेश की सत्तारूढ़ कांग्रेस ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि सिंधिया के समर्थक अन्य नेताओं पर कांग्रेस छोड़ने के लिए दबाव बना रहे हैं ।सिंधिया के कट्टर समर्थक समझे जाने वाले चतुर्वेदी ने कहा कि सिंधिया जी के कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके प्रति आस्था जताने वाले मध्यप्रदेश कांग्रेस के करीब 10,000 पदाधिकारियों ने इस्तीफे दे दिये हैं। ये इस्तीफे राज्य स्तर से ब्लॉक स्तर तक के पदाधिकारियों के हैं और कल सुबह से लेकर आज शाम तक दिए गए हैं। इनमें कछ कांग्रेस जिला अध्यक्ष भी शामिल हैं। उन्होंने दावा किया, %%जल्द ही कई अन्य कांग्रेसी पदाधिकारी भी अपने पदों से त्यागपत्र देंगे। चतुर्वेदी ने कहा कि गुना, सागर, अशोक नगर, ग्वालियर, इंदौर, शिवपुरी एवं कुछ अन्य जिलों के कांग्रेस अध्यक्षों ने अपना इस्तीफा दिया है। मध्यप्रदेश कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने कहा कि सिंधिया के समर्थक पार्टी के नेताओं को इस्तीफा देने के लिए दबाव बना रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इतने बड़ी तादात में पार्टी के पदाधिकारियों ने इस्तीफे नहीं दिये हैं सलूजा ने बताया, जिस किसी ने भी इस्तीफा दिया है, उसने सिंधिया समर्थकों के दबाव में दिया हैवे पार्टी के नेताओं पर दबाव बना रहे हैं। यदि सिंधिया इतने प्रसिद्ध थे तो वह पिछले साल गुना लोकसभा सीट से चुनाव क्यों हार गये थे? उन्होंने कहा कि सिंधिया को भाजपा में कुछ दिन बिताने के बाद ही जल्द अपनी नेतृत्व के बारे में असलियत का पता चल जाएगा ।सिंधिया के नजदीकी 22 विधायकों के इस्तीफों से मध्य प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस गिरने की कगार पर पहुंच गई है। कांग्रेस ने अपने करीब 90 विधायकों को जयपुर के पास एक रिजॉर्ट में भेज दिया, वहीं राज्य में विपक्षी दल भाजपा ने अपने विधायकों को गुरूग्राम के एक लग्जरी होटल भेज दिया है। इस बीच इस्तीफा देने वालों में से 19 को बेंगलुरु में एक होटल में रखा गया है। इनके इस्तीफे भाजपा विधानसभाध्यक्ष के पास लेकर गई थी। संख्या बल को लेकर प्रयास तेज होने और %मित्र राज्यों में रिजॉर्ट राजनीति तेज होने के बीच सिंधिया भाजपा अध्यक्ष जे पी ना की मौजूदगी में भाजपा में औपचारिक रूप से शामिल हो गए और कहा कि देश का भविष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों में सुरक्षित है। विधायकों को जिन राज्यों में रखा गया है उनमें से राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में है जबकि हरियाणा और कर्नाटक में भाजपा की सरकारें हैं ।मध्य प्रदेश के सियासी तूफान के केंद्र में 49 वर्षीय सिंधिया हैं। वह ग्वालियर के तत्कालीन शाही परिवार से आते हैं और उनके परिवार के संबंध कांग्रेस और भाजपा दोनों से रहे हैं। सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया कांग्रेस में थे, उनकी दादी विजया राजे सिंधिया भाजपा की संस्थापक सदस्यों में से एक थीं और उनकी बुआ यशोधरा राजे सिंधिया और वसुंधरा राजे सिंधिया भाजपा की सक्रिय सदस्य हैं। सिंधिया ने मध्य प्रदेश को अपने दिल का टुकड़ा बताया । सिंधिया एक संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे जिसमें ना उनके साथ थे। उन्होंने कहा कि पिछले 18 महीनों में राज्य के लिए उनके सपने चकनाचूर हो गए जब कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव जीता और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने राज्य में कांग्रेस सरकार 230 सदस्यीय विधानसभा में बहुत कम बहुमत के साथ सत्ता में आई थी। विधानसभा की प्रभावी संख्या अब 228 है। मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार को चार निर्दलीय विधायकों, दो बसपा विधायकों और एक सपा विधायक का भी समर्थन हासिल है, लेकिन अब उनमें से कुछ भाजपा की ओर पाला बदल सकते हैं। यदि 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिये जाते हैं तो विधानसभा की प्रभावी संख्या कम होकर 206 हो जाएगी। कांग्रेस के पास अपने दम पर 92 सीटें रह जाएंगी जबकि भाजपा के पास 107 सीटें हैं और बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा 104 होगा। कांग्रेस ने विश्वासमत हासिल करने का भरोसा जताया है।
सिंधिया आज राज्यसभा क लिए भरंग पर्चा